मगहर में कबीर परमेश्वर की लीलाएं।

कबीर परमात्मा का मगहर से सशरीर सतलोक गमन और मगहर लीलाएं। 

 Maghar Leela Of God Kabir

By Spiritual Leader  Saint Rampal Ji Maharaj

सतगुरु रामपाल जी महाराज जी प्रमाणित करके बताते हैं।

◆ मगहर में कबीर साहेब ने की अद्भुत लीला!
मगहर में कबीर साहेब के सशरीर सतलोक जाने के बाद उनके हिन्दू और मुस्लिम शिष्यों के बीच विवाद हो गया। मगहर के राजा बिजली खाँ पठान और बनारस के राजा बीर सिंह बघेल के बीच कबीर साहेब के अंतिम संस्कार को लेकर बहुत मतभेद हुआ। लेकिन कबीर साहेब के जाने के बाद चादर के नीचे उनके शरीर के बदले केवल फूल मिले। उसके बाद दोनों धर्म के लोगों ने आधे आधे फूल बाँट लिए।



◆ मगहर लीला
मगहर रियासत के अकाल प्रभावित स्थान में गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरुष भी बारिश करवाने में नाकाम रहे थे। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने वहां बारिश करवाकर दिखा दी थी और साबित कर दिया कि वही जगत पालनहार हैं।


◆ कबीर परमात्मा मगहर से सशरीर सतलोक गए थे!
जिंदा जोगी जगत् गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
परमात्मा कबीर जी के शरीर को प्राप्त करने के लिए दोनों ही दीन, हिंदू और मुसलमान आपस में झगड़े की तैयारी करके मगहर आए थे लेकिन जब शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले तो दोनों आपस में लिपट लिपट कर रोने लगे।


◆ परमात्मा कबीर जी के मगहर से सशरीर जाने के प्रमाण को मलूक दास जी भी प्रमाणित करते हुए कहते हैं:-
काशी तज गुरु मगहर आए, दोनों दीन के पीर,
कोई गाड़े कोई अग्न जरावे, ढूंढा ना पाया शरीर ।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
दास मलूक सलूक कहत हैं, खोजो खसम कबीर।।


◆ परमात्मा का मगहर से सशरीर सतलोक
पंडितों ने गलत मान्यता फैलाई थी की कि काशी में मृत्यु होने से मुक्ति मिल जाती है और मगहर में मृत्यु होने से गधा बनते हैं। लेकिन कबीर साहेब का मानना था कि अगर काशी में ही मुक्ति होती है तो जीवन भर राम-नाम जपने और ध्यान-साधना करने की क्या आवश्यकता। इसलिए कबीर साहेब काशी से मगहर जा पहुँचे।
कबीर साहेब ने अपनी वाणी में भी कहा है की,
"लोका मति के भोरा रे, जो काशी तन तजै कबीरा, तौ रामहि कौन निहोरा रे"

◆ मगहर से सशरीर सतलोक गमन
कबीर परमेश्वर ने हिन्दू धर्मगुरुओं के भ्रम को तोड़ा। जो ये कहा करते थे कि जो मगहर में मरता है वह गधा बनता है और काशी में मरने वाला स्वर्ग जाता है। इस भ्रम निवारण के लिए कबीर साहिब जी ने मगहर से सशरीर सतलोक गमन किया और उनके शरीर के स्थान पर चादर पर सुगंधित फूल पाए गए।
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांडी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।


◆कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए !
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।

◆ काशी के ब्राह्मणों ने गलत अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरता है स्वर्ग जाता है और जो मगहर में शरीर छोड़ता है वह गधे का जन्म पाता है। कबीर परमेश्वर जी मनमाने लोकवेद का खंडन करने के लिए मगहर में हजारों लोगों के सामने सशरीर गये। शरीर की जगह फूल मिले और भविष्यवाणी कर बताया कि मैं स्वर्ग और महास्वर्ग से ऊपर अविनाशी धाम सतलोक जा रहा हूँ।

◆ राम और अल्लाह एक ही हैं!
600 साल पहले कबीर साहेब ने मगहर में शरीर छोड़ने से पहले सभी लोगो को अपना ज्ञान समझाते हुए कहा कि राम और अल्लाह एक ही हैं सभी धर्मों के लोग एक परमपिता की संतान है।


◆ मगहर लीला
आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने परमात्मा कबीर साहेब की मगहर लीला(सशरीर सतलोक गमन) का वर्णन करते हुए कहा है कि,
"देख्या मगहर जहूरा सतगुरु, कांशी मैं कीर्ति कर चाले, झिलमिल देही नूरा हो।"

◆ कबीर परमात्मा की मगहर लीला
आज भी मगहर में कबीर साहेब जी के दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए हिन्दू और मुसलमान आपस में बहुत प्यार से रहते हैं।
◆ मगहर में सूखी नदी में पानी बहाना
मगहर के समीप एक आमी नदी बहती थी। वह भगवान शंकर जी के श्राप से सूख गई थी। पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब ने उसी समय अपनी शक्ति से उसमें पानी भर चलाया। आज भी आमी नदी प्रमाण के तौर पर बह रही है। फिर परमेश्वर कबीर साहेब हजारों लोगों के सामने से सशरीर सतलोक गये।



◆"मगहर का मौहल्ला कबीर करम"
कबीर परमेश्वर जी ने मगहर रियासत में 14वीं शताब्दी में पड़े भीषण अकाल को अपनी समर्थ शक्ति से टालकर वर्षा करके सबको जीवनदान दिया। हजारों हिंदू-मुसलमानों ने उपदेश लिया। एक 70 वर्षीय निःसंतान मुसलमान दंपती को पुत्र होने का आशीर्वाद दिया। वर्तमान में उस व्यक्ति का एक पूरा मौहल्ला बना हुआ है, नाम है "मौहल्ला कबीर करम"



◆मगहर में परमात्मा का चमत्कार!
कबीर परमेश्वर जी के अद्भुत चमत्कार जैसे अकाल से बचाना, सूखी आमी नदी बहाना, सशरीर सतलोक जाना आदि देखकर तथा उनके‌ द्वारा दिए तत्वज्ञान का‌ अनुसरण करके मगहर के सर्व हिंदू-मुसलमान आज भी विशेष प्रेम से रहते हैं। आज तक उनकी धर्म के नाम पर कोई लड़ाई नहीं हुई।

◆मगहर में हिन्दू मुसलमानों के बीच का युद्ध टाल दिया था परमात्मा ने।
हिन्दू मुसलमानों में यह झगड़ा था कि वे अपने गुरु कबीर परमेश्वर जी का अंतिम संस्कार अपनी-अपनी विधि से करना चाहते थे। कबीर जी द्वारा मगहर में शरीर त्यागने के बाद उनके शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला।



◆मगहर में भाईचारे की मिसाल!
हिन्दू व मुसलमानों के बीच धार्मिक सामंजस्य और भाईचारे की जो विरासत कबीर परमात्मा छोड़कर गए हैं उसे मगहर में आज भी जीवंत रूप में देखा जा सकता है।
मगहर में जहाँ कबीर परमेश्वर जी सशरीर सतलोक गए थे, वहां हिंदू-मुसलमानों के मंदिर और मजार 100-100 फुट की दूरी पर बने हुए हैं।
"कबीर, विहंसी कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।"

◆कबीर, क्या काशी क्या ऊसर मगहर, राम हृदय बस मोरा।
जो कासी तन तजै कबीरा, रामे कौन निहोरा।।
मगहर में मरने वाला गधा बनता है इस भ्रम का खंडन करते हुए कबीर परमात्मा ने बताया कि जिसके हृदय में परमात्मा का वास हैं वह चाहे काशी में मरे या मगहर में उसकी मुक्ति निश्चित है।
यदि काशी में तन छोड़ने से मुक्ति होती है तो भगवान को भजने की क्या आवश्यकता थी?

◆कबीर परमात्मा द्वारा शिवजी के श्राप से सूखी नदी में जल बहाना
मगहर में पहुंचते ही परमात्मा कबीर जी ने जब बहते पानी में स्नान करने की इच्छा जताई तो बिजली खां ने कहा कि यहां एक आमी नदी है जो शिवजी के श्राप से सूखी हुई है। परमात्मा कबीर जी ने नदी के किनारे पर पहुंचकर उंगली के इशारे से वर्षों से सूखी नदी में जल प्रवाहित कर दिया ।

◆हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था।
बीरसिंघ बघेला करै बीनती , बिजली खाँ पठाना हो । दो चदरि बकसीस करी हैं , दीनां यौह प्रवाना हो ।।



◆परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं!
चदरि फूल बिछाये सतगुरु , देखें सकल जिहाना हो । च्यारि दाग से रहत जुलहदी , अविगत अलख अमाना हो ।।                                               
कबीर परमेश्वर का सशरीर मगहर (Maghar) से सतलोक गमन

मगहर कहां है ?

मगहर उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिले में एक कस्बा और नगर पंचायत है। प्राचीन काल में यह जगह निर्जन और वन से ढकी थी। इस इलाक़े के आस-पास रहने वाले गिने चुने लोगों और भिक्षुओं के साथ लूट-पाट की घटनाएं होती रहती थीं, इसीलिए इस रास्ते का ही नाम मार्गहर यानी मार्ग में हरना (लूटना) अर्थात मगहर (Maghar) पड़ गया। परंतु मौलवी ख़ादिम अंसारी के अनुसार मार्गहर नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां से गुज़रने वाला व्यक्ति हरि यानी भगवान के पास ही जाता है। इस प्रकार इसके नाम को लेकर कई धारणाएं प्रचलित हैं।

मगहर (Maghar) स्थान को अपवित्र क्यों माना जाता था ?

एक अन्य धारणा के अन्तर्गत मगहर स्थान को एक अपवित्र स्थान माना जाता था। इस स्थान के बारे में ये मान्यता थी कि जिस किसी व्यक्ति की मृत्यु यहां होती है, वह नरक में जाता है। असलियत में यह धारणा पूर्वी ईरान से आए माघी ब्राह्मणों द्वारा गढ़ दी गई थी। दूसरी ओर वैदिक ब्राह्मण जो इनको तनिक महत्व नहीं देते थे और जिस कारण इनके निवास स्थान को भी नीचा करके दिखाया गया। इसी कारण सब जगह मगहर (Maghar) को लेकर ये भ्रांति और डर फैला दिया गया कि कोई भी अंतिम समय अपना मगहर में ना रहकर काशी चला जाए क्योंकि वो सर्वोपरि स्थान है और उस जगह प्राण त्यागने से स्वर्ग प्राप्ति होती है।


कबीर साहेब जी कौन थे ?

कबीर जी को लेकर कई दंत कथाएं प्रचलित हैं। उनको 15वीं शताब्दी में महान संत तथा कवि के रूप में जाना जाता था। वह बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे परंतु उनको वेदों का पूर्ण ज्ञान था। उनका व्यक्तित्व तथा वेशभूषा बहुत ही साधारण थी तथा उन्होंने जातिवाद का पुऱजोर से खंडन किया।

कबीर साहेब का प्राकट्य

कबीर जी का जन्म सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास सुदी पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त (सूर्योदय से लगभग डेढ़ घण्टा पहले) में काशी में हुआ। परंतु कबीर साहेब ने मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया अपितु अपने निजधाम सतलोक से सशरीर आकर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए। इस दिन को कबीर साहेब के जन्म दिवस के उपलक्ष में कबीर पंथी हर साल जून के महीने में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।



मगहर (Maghar) स्थान का कबीर जी से क्या संबंध है ?

कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं जो हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं। उनका मगहर से गहरा नाता है। उन्होंने समाज में व्याप्त अन्धविश्वास, पाखण्ड, मूर्ति पूजा, छुआछुत तथा हिंसा का विरोध किया। साथ ही हिन्दू -मुस्लिम में भेदभाव का पुरजो़र खंडन किया। इसी तरह इस अन्धविश्वास को मिटाने के लिए कि आखिरी समय में मगहर (Maghar) में प्राण त्यागने वाला नरक जाएगा, अपने अंत समय में काशी से चलकर मगहर आए। जिसके बाद सबकी धारणा बदल गयी।।

कबीर परमेश्वर ने दो चादर मंगवाई ?*
परमेश्वर कबीर साहब ने दो चादर मंगवाई और आदेश दिया कि एक चादर नीचे बिछाओ और दूसरी चादर साथ में रख दो। उसे मैं अपने ऊपर ओढुंगा। परमेश्वर कबीर साहब ने बिजलीखां पठान और बीर सिंह बघेल से पूछा, आप दोनों यहाँ अपनी अपनी सेनाएं क्यों लेकर आएं हैं? इस पर दोनों शर्मसार हो गए और गर्दन नीची कर ली। जो कबीर साहब के अन्य दीक्षित भक्त थे उन्होनें कहा कि, हम आपके शरीर छोड़ने के बाद आपके शरीर का अंतिम संस्कार हमारे धर्म के अनुसार करेंगे चाहे इसके लिए हमें लड़ाई ही क्यों ना करनी पड़े।इस पर परमेश्वर कबीर साहिब ने सबको डांटते हुए बोला कि इतने दिनों में तुमको मैंने यहीं शिक्षा दी है। साथ ही समझाया कि दफनाने और जलाने में कोई अंतर नहीं है। मरने के बाद ये शरीर मिट्टी है जो मिट्टी में ही मिल जाएगा।

कबीर साहेब जी के शरीर की जगह मिले थे फूल
परमेश्वर कबीर साहिब ने सबको आदेश दिया कि इन दो चादरों के बीच जो मिले उसको दोनों आधा-आधा बांट लेना और मेरे जाने के बाद कोई किसी से लड़ाई नहीं करेगा। सब चुप थे पर मन ही मन सब ने सोच रखा था कि एक बार परमेश्वर जी को अंतिम यात्रा पर विदा हो जाने दो फिर वही करेंगे जो हम चाहेंगे। एक चादर नीचे बिछाई गई जिस पर कुछ फूल भी बिछाए गए। परमेश्वर चादर पर लेट गए। दूसरी चादर ऊपर ओढ़ी और सन 1518 में परमेश्वर कबीर साहिब सशरीर सतलोक गमन कर गए। थोड़ी देर बाद आकाशवाणी हुई “उठा लो पर्दा, इसमें नहीं है मुर्दा”।

वैसा ही हुआ कबीर परमात्मा का शरीर नहीं बल्कि वहां सुगन्धित फूल मिले, जिसको दोनों राजाओं ने आधा आधा बांट लिया। दोनों धर्मों के लोग आपस में गले लग कर खूब रोए। परमात्मा कबीर जी ने इस लीला से हिंदू-मुस्लिम मुस्लिम दोनों धर्मों का वैरभाव समाप्त किया । मगहर (Maghar) में आज भी हिंदू मुस्लिम धर्म के लोग प्रेम से रहते हैं।

इस पर परमात्मा कबीर जी ने अपनी वाणी में भी लिखा है:-

सत्त् कबीर नहीं नर देही, जारै जरत ना गाड़े गड़ही।
पठयो दूत पुनि जहाँ पठाना, सुनिके खान अचंभौ माना।
दोई दल आई सलाहा अजबही, बने गुरु नहीं भेंटे तबही।
दोनों देख तबै पछतावा, ऐसे गुरु चिन्ह नहीं पावा।
दोऊ दीन कीन्ह बड़ शोगा, चकित भए सबै पुनि लोंगा।

कौन है पूर्ण अधिकारी संत?

आज के समय में संत रामपाल जी महाराज जी ही कबीर जी द्वारा बताई हुई सत्य साधना हमारे धर्म ग्रंथों से प्रमाणित करके बताते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने कलयुग में कबीर जी को परमेश्वर सिद्ध कर दिया है। हमारे सभी धर्म ग्रंथ भी इसकी गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी ही हैं जिनकी भक्ति करने से मोक्ष प्राप्ति संभव है। इसलिए अपना और समय व्यर्थ ना गवांकर संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा प्राप्त करें तथा अपना कल्याण करवाएं।

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