Navratri Special 2020, नवरात्रि दुर्गा पूजा महोत्सव विशेष, नवरात्रि कब है?

नवरात्रि पूजा पर्व विशेष! 

Navratri 2020

दुर्गा की भक्ति करवाना काल का महाजाल है।। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं है। सूक्ष्म वेद में लिखा गूढ़ परमात्म सत्य है। किसी व्यक्ति विशेष के जीवन को गहनता से जानने के लिए हम उसकी जीवनी पढ़ते हैं। उसी तरह सभी भगवानों की उत्पत्ति….

कुछ ऐसे मुख्य प्रश्न जिनसे हमे अवगत होना बहुत आवश्यक है ।

  1.  नवरात्रि किस तरह मनानी चाहिए?
  2.  संसार में सब दुर्गा जी को माता कहकर क्यों संबोधित करते हैं?
  3.  दुर्गा जी इतना श्रृंगार करती हैं, कौन हैं उनके पति ?
  4.  नवरात्रि का त्यौहार मनाने की सही विधि कौन सी है, आइए जानते हैं।
  5.  क्या आप जानते हैं? हमारे हिंदू धर्म के शास्त्रों में कहीं पर भी नवरात्रि मनाने के बारे में नहीं बताया गया है?
  6.  क्या दुर्गा जी हमारे सभी दुखों का निवारण कर सकती हैं?
  7.  दुर्गा जी ने स्वयं किसी और प्रभु की भक्ति करने के लिए कहा है।
  8.  न जाने कितने सालों से हम सभी दुर्गा पूजा कर रहे हैं। क्या कभी सोचा है, क्या लाभ और क्या हानि है?
आइये जाने........ 

  1. नवरात्रि किस तरह मनानी चाहिए ?

जैसा की सभी हर साल “नवरात्रि” मनाते हैं और नौ दिनों तक व्रत करते हैं। अलग-अलग तरह माताजी की मूर्तियां रखते हैं उनकी पूजा, व्रत- उपासना करते हैं, रंगबिरंगे कपड़े पहनते हैं और गरबा खेलते हैं। नव दुर्गा के रूप में नौ दिन मनाते हैं। लेकिन आखिर में कुछ पाखंडी अपना पाखंड दिखाते हैं और बेज़ुबान जानवरों की बलि मांगते हैं और भोले श्रद्धालु दे भी देते हैं। ताकि माता जी खुश हो जाएं और उनका परिवार खुशहाल रहे। पर क्या कभी ये सोचा है किसी की बलि देने से हमें वास्तव में खुशी मिल सकती है? अगर बलि देने से भगवान खुश होते तो अपनी सन्तान की बलि देकर देखो।

2. संसार में सब दुर्गा जी को माता कहकर क्यों संबोधित करते हैं ?

दुर्गा को त्रिदेवजननी भी कहते हैं। ब्रह्मा, विष्णु, महेश की माता हैं दुर्गा जी।

3. दुर्गा जी इतना श्रृंगार करती हैं क्या उनके भी पति हैं ?

Maa Durga 

जो स्त्री सुहागन होती है वही श्रंगार करती है। इसका मतलब माता दुर्गा भी सुहागन है। उनका पति है जिसका नाम ज्योति निरंजन (काल) है।

4. नवरात्रि का त्यौहार मनाने की सही विधि कौन सी है ?

किसी भी त्यौहार को मनाने से पहले गहराई तक जान लेना जरूरी होता है। क्योंकि हम एक नवरात्री का त्यौहार ही नहीं बल्कि हम यह दर्शाते हैं की हमारे देवी देवता ऐसे दिखते थे या उन्होंने ऐसे काम किये। सही जानकारी लेने के लिए शास्त्रों की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। दुर्गा जी से लाभ पाने का वास्तविक मंत्र साधना तो केवल तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जी ही बता सकते हैं शास्त्रों से प्रमाणित करके।

5. क्या आप जानते हैं? हमारे हिंदू धर्म के शास्त्रों में कहीं पर भी नवरात्रि त्यौहार मनाने के बारे में नहीं बताया गया है ?

किसी के धर्म के बारे में पूर्ण जानकारी के लिए सबसे पहले हमें उस धर्म के शास्त्रों से जानकारी लेनी चाहिए।

वेदों में कहीं भी नवरात्रि पूजन का ज़िक्र नहीं है।

स्वयं दुर्गा जी देवी भागवत पुराण (स्कन्द 7, अध्याय 36, पृष्ठ 563) में हिमालय को ज्ञान उपदेश देते वक्त कहती हैं “उस एकमात्र परमात्मा को ही जाने, बाकी सब बातों को छोड़ दें। यही अमृतरूप परमात्मा तक पहुंचाने का पुल है।”

6. क्या दुर्गा जी हमारे सभी दुखों का निवारण कर सकती हैं ?

हिन्दू धर्म के अनुसार 33 करोड़ देवी देवता होते हैं। सोचने वाली बात है कि जिस धर्म में 33 करोड़ देवी देवता हैं फिर भी आज के वक़्त कोई सुखी जीवन नहीं जी पा रहा। इसी कारण से सभी लोग भटक रहे हैं। आज इस देवता के पास, कल उस देवी के पास और फिर भी निराश। दुर्गा जी की पूजा करते करते भी कष्ट दूर नहीं होते क्योंकि उनसे लाभ पाने का सही मंत्र, सही साधना की विधि नहीं है किसी के पास। पूर्ण लाभ तो केवल पूर्ण परमात्मा “कबीर साहिब” जी की भक्ति से ही मिल सकता है।

7. दुर्गा जी ने स्वयं किसी और प्रभु की भक्ति करने के लिए कहा है ? 

Devi Bhagwat Puran 

जैसा की दुर्गा जी खुद बता रही हैं श्रीमद्देवीभागवत के स्कन्ध सातवे (अध्याय36 पृष्ठ 563) में किसी और प्रभु की पूजा करने को। आखिर कौन है वो प्रभु (परमात्मा) भगवान् जिसके लिए देवी जी ने बोला है?

सभी शास्त्रो में प्रमाण है। कबीर साहेब ही परमात्मा हैं।

🔸फजाईले जिक्र में आयत नं. 1, 2, 3, 6 तथा 7 में स्पष्ट प्रमाण है कि तुम कबीर अल्लाह कि बड़ाई बयान करो। वह कबीर अल्लाह तमाम पोसीदा और जाहिर चीजों को जानने वाला है और वह कबीर है और आलीशान रूत्बे वाला है।

🔸पवित्र कुरान शरीफ सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत नं. 58 में

“अिबादिही खबीरा(कबीरा) कहा गया है।

कबीर अल्लाह ही इबादत के योग्य है।

🔸सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।

🔸पवित्र अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 7

इस मंत्र में यह भी स्पष्ट कर दिया कि उस परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।

🔸पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। – ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 ।

🔸कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है – यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32।

🔸गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि –

हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।

नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक

जिसका भावार्थ है कि हे कबीर परमेश्वर जी मैं नानक कह रहा हूँ कि मेरा उद्धार हो गया, मैं तो आपके सेवकों के चरणों की धूर तुल्य हूँ।

पवित्र बाइबल में भगवान का नाम कबीर है – अय्यूब 36:5। और भी बहुत सारे प्रमाण हैं हमारे शास्त्रो में हैं।

एके साधे सब सधे, सब साधे सब जाय।

माली सींचे मूल कुँ, फले फुले अघाय।।

उदाहरण:- एक परमात्मा की पूजा करने से अन्य देवी देवता (नवरात्रि शुभ मुहूर्त) हमें मन इच्छित फल देते हैं।

🔸संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं शास्त्रों से प्रमाण देकर कि मोक्ष केवल शास्त्रनुकूल साधना करने से मिल सकता है। शास्त्रनुकूल साधना पूर्ण गुरु ही बता सकता है।

विडम्बना यह है की इस समय पता कैसे लगाया जाए की कौन गुरु पूरा है।

सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद। 

चार वेद षट शास्त्रा, कहै अठारा बोध।।

सतगुरु गरीबदास जी महाराज अपनी वाणी में पूर्ण संत की पहचान बता रहे हैं कि पूर्ण गुरु चारों वेद, छः शास्त्र, अठारह पुराण का पूर्ण जानकार होगा। अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा। वह भक्ति मार्ग को शास्त्रों के अनुसार समझाता है।

🔸यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25 – 26 में लिखा है कि पूर्ण गुरु वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा वह जगत का उपकारक संत होता है।

अगर आप खुशियां और जन्म मरण से छुटकारा चाहते हैं, तो ये मनमाना आचरण छोड़कर शास्त्रानुकूल साधना करें जो हमारे शास्त्र बताते हैं। उस आधार पर भक्ति करने से हमें लाभ मिलता है और मोक्ष भी मिलता है। और वास्तविक परमात्मा कौन है ये भी जानकारी मिलेगी।

मनमाना आचरण करने से हम कभी सुखी नहीं हो सकते। यही हमारी सबसे बड़ी भूल है कि हम शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं। क्योंकि हमें हमारे धर्मगुरुओं ने सद्ग्रन्थों की सच्चाई नहीं बताई और हमने कभी कोशिश भी नहीं की जानने की।

अब हमारे पास मौका है हम सच्चाई को जान सकते हैं।

पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र संत हैं जो शास्त्रो का ज्ञान करवाते हैं। तो अब बिना किसी विलम्ब के सच्चाई को जानें, परखें और मनमाना आचरण छोडें।

प्रतिदिन शाम 7:30 से 8:30 तक साधना tv पर संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन देखें और सच्चाई से परिचित होकर शास्त्रनुकूल साधना करें।


🙏धन्यवाद🙏

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