Nag Panchami 2021: नागों सर्पों की पूजा करने से कोई लाभ नहीं!

Nag Panchami in Hindi

Nag Panchami Hindi: नाग पंचमी की पूजा :-

श्रद्धालु बड़े भक्ति भाव से करते हैं लेकिन इस पूजा का कोई लाभ नहीं और हो भी कैसे, क्योंकि नाग भी तो 84 लाख योनियों में से ही एक जीव हैं। आज पाठक विस्तार से जानेंगे की शास्त्र किस साधना की ओर संकेत कर रहे हैं और साधक समाज क्या कर रहा है तथा साथ ही यह भी जानेंगे कि वर्तमान में शास्त्रों से प्रमाणित सतभक्ति विधि प्रादत्त करने  का अधिकारी संत कौन है जिसके द्वारा दी गई सद्भक्ति से सर्व लाभ और मोक्ष सम्भव है जिसकी हम सब कामना करते हैं? 

हिंदू परंपराओं में नाग पंचमी का त्यौहार :- 

Nag Panchami in Hindi : हिंदू धर्म में प्रचलित कर्मकांडों के अनुसार देवी देवताओं के साथ ही उनके प्रातीको और वाहनों की भी परंपरागत पूजा अर्चना की जाती है। इनमें जानवर, पक्षी, सर्प, फूल और वृक्ष सम्मिलित हैं। हिंदुओं में विशेषकर पश्चिम भारत में महाराष्ट्र प्रांत में नाग पंचमी की विशेष मान्यता है।

नाग पंचमी जानिए कब है :- 

Nag Panchami हिंदू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का उत्सव प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है इस वर्ष से शुक्रवार 13 अगस्त को पंचमी होने के कारण मनाया जा रहा है। 

नागपंचमी श्रावण मास क्यों मनाया जाता है:- 

Nag Panchami Hindi 2021: इसका एक कारण या जाना जाता है कि सावन का पूरा महीना वर्षा का होता है और बरसात में जमीन से नाग बाहर निकल आते हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि पंचमी पंचमी के दिन इनको दूध स्नान कराया जाए पूजा अर्चना की जाए तो यह किसी को हानि नहीं पहुंचाते। 

अलग-अलग कारणों से मानते हैं ना कंचना नाग पंचमी:- 

कुछ कहते हैं कृषि प्रधान भारत देश में सांप खेतों में फसल को नुकसान करने वाले जीव - जंतु चूहे आदि से रक्षण करता है, उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हरा भरा रखता है कुछ यह भी कहते हैं, हिंदू धर्म में पशु पक्षियों, मूर्तियों, पितरों को पूजने का विधान है। वैसे सावन के महीने में कई प्रकार की पूजाएं कर्मकांड के अनुसार कराई जाती हैं नाग पंचमी को नागों की पूजा की भी इसी कड़ी का अंश है़।महाभारत में नागो से संबंधित वर्णन मिलते हैं हिंदू धर्म में नागों को देवता भी कहा गया है । नाग पंचमी के दिन 8 नाको, अनंत वासुकि, पद्म में महापद्म, तक्षक, कुलीक, करकट और शंख की पूजा अर्चना की जाती है। 

नाग पंचमी का इतिहास क्या है History Of Nag Panchami :- 

History of Nag Panchami hindi: द्वापर युग की बात है एक समय कालिया नाग यमुना नदी में विचरण करता था, जिसके कारण यमुना का जल दिशाक्त तो हो चुका था आसपास के पशु पक्षी मार रहे थे। फसलें नष्ट हो रही थी। वहां के लोगों ने परेशान होकर श्री कृष्ण से प्रार्थना की तब श्री कृष्ण ने कालिया नाग को पाताल लोक भेज दिया उसी दिन से ब्रज में नाग पंचमी के त्यौहार की शुरुआत हुई तथा वाराह पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने शेषनाग को पृथ्वी धारण करने की आज्ञा दी थी। नागों का मूल स्थान पाताल लोक है तथा उसकी राजधानी भोगपुरी है।

Hindi Story of Nag Panchmi: नाग पंचमी मनाने के संबंध में एक मत यह भी है कि अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने तपस्या में लीन ऋषि के गले में मृत सर्प डाल दिया था। इस पर ऋषि के शिष्य श्रृंगी ऋषि ने क्रोधित होकर श्राप दिया कि यह सर्प सात दिनों से के पश्चात जीवित होकर तुम्हें डस लेगा। ठीक 7 दिनों के पश्चात उसी तक्षक सर्प जीवित होकर राजा को डसा। तब क्रोधित होकर राजा परीक्षित के बेटे जनमेजय ने विशाल सर्प यज्ञ किया जिसमें सांपो की आहुतियां दी। इस यज्ञ को रुकवाने हेतु महर्षि आस्तिक आगे आए। उनका आगे आने का कारण यह था कि महर्षि आस्तिक के पिता आर्य और माता नागवंशी थी। इसी नाते से भी यज्ञ होते ना देख सके सर्प यज्ञ रुकवाने  लड़ाई को खत्म करने, पुन: अच्छे संबंधों को बनाने हेतु आर्यों ने स्मृति स्वरूप अपने त्योहारों में सर्प पूजा को एक त्यौहार के रूप में मनाने की शुरुआत की।

नाग पंचमी पर जाने क्या नाग दूध पीते हैं ?:- 

Nag Panchami Hindi: हमारे समाज में नाग के दूध पीने को लेकर अनेक भ्रांतियां प्रचलन है। 

आइए जानते हैं : इसके पीछे छिपी सच्चाई को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो नाग (सर्प) एक मांसाहारी जीव है। इसका आहार दूर नहीं है नागों (सर्पों) के आंतरिक अंग दूध पीने के लिए नहीं बने हैं। इन्हें दूध पिलाने पर इनके आंतरिक बनावट के कारण दूध इनके फेफड़ों में चला जाता है जिससे इन्हें इन्फेक्शन बीमारी की संभावना बढ़ जाती है लेकिन कभी-कभी हम गांव में सपेरों द्वारा सांप को दूध पिलाते देखते हैं इसके पीछे का एकमात्र कारण यह है कि सपेरे एक-दो दिनों तक सांप को भूखा रखते हैं। अत्यधिक भूख के कारण सांप दूध पी जाते हैं लेकिन कभी-कभी यह दूध पीने से बीमार कर देता है। 

Nag Panchami 2021: नाग पंचमी पर्व और परंपरा :- 

भारत के विभिन्न प्रांतों में नाग पंचमी के व्रत की भिन्न-भिन्न परंपरा है। कुछ जगहों पर लोग सूर्योदय से पहले जाग कर स्नान करके मिट्टी या बालू से नाग बनाकर दूध लवा चढ़ाकर पन्ना पंचमी की कथा सुनकर आरती के बाद पूजा संपन्न करके ही विधान अनुसार भोजन बनाकर भोजन करते हैं कहीं दाल बाटी तो कहीं खीर पूड़ी बनाने की प्रथा है। कहीं उस दिन घर चूल्हा नहीं जलाने का नियम है। पर वास्तविकता यह है कि श्रीमद्भागवत गीता में व्रत इत्यादि कर्मकांड को निषेध बताया गया है तथा गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि व्रत करने से ना तो कोई लाभ होता है ना ही मोक्ष की प्राप्ति अथवा तो व्रत करना शास्त्र विरुद्ध साधना है। "गीता अध्याय 6 श्लोक और 16" में व्रत की मनाही है। 

नाग पंचमी का महत्त्व :-

स्कंद पुराण के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागों की विधि विधान के साथ पूजा करने से ना उस परिवार को हानि नहीं पहुंचाता तथा पूजा करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है इस दिन कुछ उपाय से उसका प्रभाव भी कम हो जाता है परंतु शास्त्र अनुकूल साधना करने वाले साधक से सर्व रोग दोष दुख सर्व अछूते हैं। 

नाग (सर्प) की पूजा करने से वह मनुष्य को कोई लाभ नहीं दे सकता:- 

इन सबसे अलग मनुष्य शरीर में पांच तत्व अग्नि वायु जल और आकाश होते हैं मनुष्य योनि में नर और नारी दोनों में तत्व एक समान है। पाठक या जाने की नाग अंडज खानि में पैदा हुआ एक जीव है। कितनी बार अन्य योनियों में जन्म लिया होगा आप समझ सकते हैं कि नाग पूजा किसी प्रकार भी मनुष्य के विकास में सहायक नहीं हो सकती है और ना ही इससे वह परम गति संभव है जोकि तत्वदर्शी संत के मार्गदर्शन से पूर्ण परमात्मा की भक्ति विधि से है अतः ऐसे करना मनुष्य जीवन का महत्वपूर्ण समय व्यर्थ करना है। 

कबीर साहेब जी अपने वाणी में कहा है: 

माटी का एक नाग बनाके पूजे लोग लुगाया। 

जिंदा नाग जब घर में निकले, ले लाठी धमकाया।। 

शास्त्र के विरुद्ध साधना करने से क्या हानि होती है:- 

पाठकों के मन में यह प्रश्न होगा कि ऐसा क्या है जो मनुष्य जीवन को करना श्रेष्ठ है, जी ऐसा है कि जिसे हम आगे जानेंगे। अब श्रीमद्भागवत गीता का मत जानते हैं, गीता अध्याय 9 श्लोक 25 के अनुसार देवताओं की पूजा करने वाले देवताओं को प्राप्त होंगे, पितरों को पूजा करने वाले पितरों को प्राप्त होंगे और भूतों प्रेतों की पूजा उपासना करने वाले उन्हीं को प्राप्त होंगे। 

शास्त्रानुकूल भक्ति कैसे की जाती है और कैसे प्राप्त होगी:- 

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संग प्रवचनों में विस्तृत ज्ञान दिया है। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 श्लोक 23 के अनुसार ॐ मंत्र ब्रह्म का, तत् यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का, सत् यह सांकेतिक मंत्र है पूर्णब्रह्म का है। ऐसे यह तीन प्रकार के पूर्ण परमात्मा के नाम सिमरन का आदेश कहा है 

गीता अध्याय 17 श्लोक 23

ओम तत्, सत्, इति निर्देश:, ब्रह्मण:, त्रिविध:, स्मृत: 

ब्राह्मणा:, तेन, वेदा: च यज्ञा: च विहिता:, पुरा ।।

ततत्वदर्शी संत तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्रण संगली हिन्दी के पृष्ट 3 पर गौड़ी रंगमाला जोध निधि महला 1 - पौड़ी नंबर 17 को उद्धृत करते हुए बताया है, नानक साहेब जी श्रीमद्भगवद्गीता 17:23 के ॐ तत् सत् नाम के अजपा जाप द्वारा सूरति से परमात्मा में लौ लगाने का रहस्य उजागर कर रहे हैं । 

प्राण संदली 1:17

पूर्व फिरि पच्छम कौ थाने। अजपा जाप जपै मनु माने।। 

अनहत सुरति रहै लिवलाय। कहूं नानक पद पिंड समाय।। 

संत रामपाल जी महाराज गुरु नानक जी देव की वाणी द्वारा समझाना चाहते हैं कि पूरा सतगुरु वही है जो दो अक्षर के जाप के बारे में जानता है। जिनमें एक काल वा माया के बंधन से छुड़वाता है और दूसरा परमात्मा को दिखाता है और तीसरा जो एक अक्षर है वह परमात्मा से मिलाता है वेद पुराणों के पढ़ने से मुक्ति नहीं होती गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान से पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सतलोक में विराजमान पूर्ण परमात्मा कबीर देव के गुरु परंपरागत एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी गीता द्वारा ज्ञान को शास्त्रानुकूल विधि से बताते हैं अपना कल्याण करवाने के लिए तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर अपना ने सर्व पापों को कटवा कर इस मृत्युलोक से सर्व सुख प्राप्त कर अपना कल्याण कराएं समय होने पर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करें.

संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक अंध श्रद्धा भक्ति खतरा- ए -जान को अवश्य पढ़ें और साधना चैनल पर संत रामपाल महाराज जी महाराज जी का सत्संग रोज शाम 7:30 पर अवश्य देखें। 

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